म्यूच्यूअल फण्ड के प्रमुख मापदंड
ए.यू.एम (AUM), एन.ए.वी (NAV), और लागत अनुपात (Expense Ratio) म्युचुअल फंड के मुख्यत: तीन मापदंड हैं जो हर निवेशक को अनिवार्य रूप से जानना चाहिए। यह अध्याय इनके बारे में सरल तरीके से समझाता है।
पिछले खंड में हमने देखा था की रवि ने अपना खुद का कोष बनाने का फैसला लिया था। हम मान लें कि रवि अपने दस दोस्तों से 1000 रुपये लेता है। उसने स्टॉक, बॉन्ड, आदि में निवेश करने के लिए कुल 10,000 रुपये जमा किया।
एक वर्ष के बाद, उनके पोर्टफोलियो का मूल्य 12,000 रुपये हो जाता है। इसका अर्थ है कि उसके प्रत्येक मित्र के द्वारा निवेश की गई राशि का मूल्य 1200 रुपये (12000/10) हो गया है।
इस उदाहरण में हम मानते हैं कि रवि पैसे का प्रबंधन करने के लिए कोई भी शुल्क नहीं लेता हैं। हम सभी चाहेंगे कि रवि जैसा हमारा भी दोस्त हो |
मित्र होने के नाते रवि ने हमारे लिए नि:शुल्क कोष प्रबंधन किया था, जबकि कोष प्रबंधक(फण्ड मैनेजर ) आमतौर पर कुछ-न-कुछ कोष प्रबंधन शुल्क लेता है। इसके अलावा कोष के प्रबंधन के लिए प्रशासनिक शुल्क, कमीशन शुल्क, आदि अन्य लागतों का भी भुगतान करना होता है।
कोष में संपत्ति के प्रबंधन के लिए कुल शुल्क को 'लागत अनुपात' (Expense Ratio) कहा जाता है। लागत अनुपात प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है और स्पष्ट रूप से निवेशक कम लागत अनुपात पसंद करते हैं।
ए यू एम (AUM) किसी भी समय पर कोष का कुल बाजार मूल्य होता है। इस उदाहरण में रवि ने 10,000 रुपये के AUM के साथ कोष प्रबधन शुरू किया था जो वर्ष के अंत तक 12,000 रुपये हो गया।
नेट संपत्ति मूल्य या एन ए वी (NAV) म्यूचुअल फ़ंड कोष की प्रति यूनिट मूल्य की इकाई है।
एक सरल उदाहरण का उपयोग करते हुए NAV को हम इसप्रकार से समझ सकते हैं:
यदि हम 10 रुपये के मूल्य का एक सेब लेते हैं और इसे 5 टुकड़ों (5 यूनिट) में काटते हैं तो सेब की कीमत प्रति यूनिट दो रुपये हो जाएगी या दूसरे शब्दों में कहें तो सेब का NAV दो रुपये होगा।
रवि के उदहारण में NAV 1000 (10,000 / 10 = 1000) से शुरू हुई थी जो वर्ष के अंत में 1200 रूपए हो गई । चूंकि स्टॉक, बॉन्ड इत्यादि का मूल्य दैनिक आधार पर बदलता रहता है, NAV भी दैनिक आधार पर बदलता है।
ऋण (डेब्ट), इक्विटी और बैलेंस्ड के आधार पर म्यूचुअल फंडों को वर्गीकृत कर सकते हैं जो कि हम अपने अगले अनुभाग में समझेंगे।